कोई और नहीं है

किसी का दुख बंटा सके जो कोई नहीं है
तेरी  सदा को सुन सके जो कोई नहीं है,

नारों के शोर से तो दुआ घुट गई यहां,
गीतों पे झूमता हुआ अब कोई नहीं है,

केवल किसी की हां में हां करने लगे है लोग,
सच को तो सच बता सके जो कोई नहीं है,

दोस्तों ने पीठ पे है जख्म दे दिया,
मरहम लगा सके जो यहां कोई नहीं है,

शामिल हैं पहरेदार भी इस आगजनी में,
इस आग को बुझाने वाला कोई नहीं है,

जिसको थमाई उंगलियां वो हाथ ले गया,
सफर में हमसफ़र बने जो कोई नहीं है,

जिनको समझ के राजदार, दिल खोला आपने,
रुसवाई भी उन्हों ने की, कोई और नहीं है,

साया भी साथ छोड़ता जब सर पे धूप हो,
मंजिल तलक जो चल सके, कोई नहीं है ।

तुमने दिखा दिया जिसे दिल खोल कर यहां ,
खंजर वही चलाएगा कोई और नहीं है ,

उंगली पकड़ जो घुस गए हैं आस्तीन में,
डस लेंगे वो ही एक दिन कोई और नहीं है,

अपना चिराग खुद बनो ये मंत्र है सुधीर
रस्ता दिखाने वाला यहां कोई नहीं है ।
                      
                                - सुधीर
                                31 मई 2024





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