जीवन समर



                                                                               जीवन में मंज़िल पाने का बस एक ही रस्ता नहीं 
 सैकड़ों पगडंडियाँ  पहुंचाती हैं हमको वहीं । 

उसको निराशा घेर कर ही लूट लेगी राह में ,
यंत्रणा ही हस्तगत होगी खुशी की चाह में ,
पकड़ी है जिसने लीक लेकिन दृष्टि को खोला नहीं,
क्षमता है कितनी हौसलों में यह कभी तौला नहीं, 

इसलिए पाथेय अपना धैर्य को ही मान लें,
है भरोसा खुद पे तो, निश्चित सफलता जान लें,
जीवन समर में  जो रुका इतिहास उनको भूलता
पुस्तकों में उनकी कहानी फिर नहीं मिलती कहीं । 

जो बनाते मार्ग वो, पदचिन्ह भी हैं छोड़ते,
रास्ता तूफान का नदियों का भी हैं मोड़ते,
उनको नमन आकाश भी करता है वसुधा पूजती
उनकी प्रतिष्ठा शाश्वत , जग भूल पाता है नहीं ।
                                   
                                                                                                                                     - सुधीर सोनी

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