याद तुम्हारी


मेरे मन में घुली हुई है,

ऐसे तेरी याद सुहानी, 

गर्मी के मौसम में जैसे, 

नये घड़े का सोंधा पानी ।


जब थक कर मैं सो जाता हूँ,

मन तब भी जागा करता है , 

कभी नहीं धूमिल पड़ती है, 

माँ के मुख से सुनी कहानी |


दरवाजे पर सुनकर दस्तक,

साँसों की थम गयी रवानी,

लगता है उसके आने की 

आहट है जानी-पहचानी |


आज अचानक याद आ गयी,

भूली बिसरी एक कहानी,

जैसे फिर से सुलग उठी है,

अवसर पाकर आग पुरानी ।

                

               - सुधीर भारद्वाज 


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