हिंदुत्व का यह जागरण
सर्वदा चयनात्मक चुप्पी भी एक षड्यंत्र है,
मौन है सहमति का सूचक ये ही शाश्वत मंत्र है,
है नहीं ऐसा ये मुद्दा , हम उपेक्षित छोड़ दें ,
हम विषय के मूल को तजकर कथन को मोड़ दें ।
सब धर्म की निरपेक्षता की आड़ में छुपकर रहे,
हिन्दू रुधिर बहता रहा, न जाने क्यों हम चुप रहे,
इस धूर्तता की चाल से सदियाँ सिसकती ही रहीं,
है समय आया की हम उत्तर उन्हें मूँहतोड़ दें ।
हिन्दुत्ववादी सोच ही है शाश्वत , हरदम रहेगी,
आज हम ये कह रहे कल को ये दुनिया भी कहेगी,
आजतक का मौन था संकेत भीषण जिस प्रलय का,
जातियाँ जो अन्य है सबका ही "हिन्दू" में विलय का ।
-- सुधीर भारद्वाज
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