माँ भगवती वरदान दो


मातु भगवती फिर हमें वात्सल्य का अनुदान दो ।
अब फिर वही आँचल हमें ममता भरा वरदान दो ।

हमने हैं अर्जित किये साधन बहुत संतोष खोकर,
चाहते हैं शांति मन की रुक गए हैं क्लान्त होकर,
क्या करें अब सूझता कुछ भी नहीं विश्वास दो,
मातु भगवती फिर हमें वात्सल्य का अनुदान दो ।

हमको बस इतना पता है हम अकिंचन सुत तुम्हारे,
तुम हमें दो मार्गदर्शन दूर हों (सब दुःख)अवगुन हमारे,
मार्ग के संकेत सब उलझे हुए हैं ज्ञान दो,
मातु भगवती फिर हमें वात्सल्य का अनुदान दो ।

सब मिला पर मिल न पाया प्यार और करुणा हमें,
अब निकट के सुख सभी हैं, बोझ से लगते हमें,
गोद में स्थान दो ममता की फिर से पPछाहँ दो,
माँ भगवती अब फिर हमें वात्सल्य का अनुदान दो। 

हम भरोसा हैं दिलाते आपको इस बात का,
फिर जुटेंगे कर्म में, चिंतन नहीं दिनरात का,
अब यही है लक्ष्य जीवन में हमें सद्ज्ञान दो,
मातु भगवती फिर हमें वात्सल्य का अनुदान दो ।
                                         
                                          *-सुधीर भारद्वाज*















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