मुक्तक - 1

 मत किसी को दर्द का संसार दो,

मत फरेबों का कभी उपहार दो,

यदि कहाना चाहते हो आदमी,

तो वफादारी निभाओ, न ज्ञान दो ।1।


पाप मत पालो  की कहीं धोना  पड़े,

गांठ का संचय कहीं खोना पड़े,

ज़िंदगी जिओ तो  फिर ऐसी जियो,

की मौत को खुद मौत पर रोना पड़े ।2।




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