तेरी हर अदा है सबसे जुदा

जिस बात पर हँसना, उसी पर रूठ जाना है,
तुम्हारी हर अदा भी एक उलझा सा फ़साना है ।1।

तुम्हारे रक्त अधरों पर हंसी रहती है जो तिरछी,
किसी का कत्ल करना और उसको भूल जाना है ।2।

जिसे तुम चाहती थीं, अब भी उसे ही चाहती होगी,
ये हैं बेकार की बातें , ये किस्सा भी पुराना है ।3।

कभी गैरों की पीड़ा पर तुम आँसू भी बहाओगी,
ऐसा हो नही सकता, ये तो सपना सुहाना है ।4।

तुम्हारी बातों का मतलब, बनारस की गली जैसा,
कहीं पर सीधा है चलना, कहीं पर मुड़ के जाना है ।5।

किसी से क्या कहा तुमने, कोई वादा निभाना था,
कसम सौ बार खाकर के उसे फिर भूल जाना है ।6।

न जाने कबसे बैठे हैं, बिछाकर राह में पलकें,
आँधी की तरह आ के, तुम्हेँ बस गुज़र जाना है ।7।

पहाड़ी रास्तों सा है तेरा बलखाता हुआ यौवन ,
कहीं धीरे से है मुड़ना, कहीं बस ठहर जाना है ।8।

तुम्हारा आना यादों में, और आकर चले जाना,
कमल पर ओस  के जैसे, गिरकर बिखर जाना है ।9।

कभी हालात का रोना, कभी दुनियां की बंदिशें,
न आना हो तुम्हें तो, ये रोज का बहाना है ।10।

*'सुधीर'* पहले जैसा था, रहेगा वो हमेशा ही,
लाखों कोशिशें कर लो, वो तो पूरा दीवाना है ।

*-  सुधीर भारद्वाज*

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