नयी कोई शुरुआत करते हैं

चलो हम फिर नयी कोई सुखद शुरुआत करते हैं ,

धारण मौन का करके स्वयं से बात करते हैं |

पौ अब फट चुकी देखो वो सूरज भी निकल आया,

विदा निद्रा से लेकर के नया कुछ काम करते हैं |


नहीं किंचित भी बांकी है  भयंकर रात का अब भय,

बुझे दीपक- छुपे जुगनू , उजाले याद करते हैं |

कोई रूठा, कोई छूटा, कोई लौटा न फिर जाकर,

अकेले इस सफ़र पर हम पुनः प्रस्थान करते हैं |


नहीं पदचिन्हों पर दृष्टि, न आश्रित मानचित्रों पर,

नया रस्ता-नयी मंजिल, स्वयं निर्माण करते हैं |

बहुत तूफ़ान आयेंगे, बड़ी लहरें सुनामी की,

भरोसा है भुजाओं पर, इन्हें  पतवार करते हैं |


बनेंगे क्या यहाँ पर हम, लिखा क्या भाग्यरेखा में,

रहेंगे कर्म में कर्मठ, नहीं परवाह करते हैं |

मिलेगा क्या यहाँ हमको, कोई धनलाभ, पद भारी,

विकट हैं  खेल माया के, हमें बर्बाद करते हैं |

सजल-श्रद्धा, प्रखर-प्रज्ञा, हमारे मार्गदर्शक हैं,

मिलें हर जन्म में हमको यही फरियाद करते हैं |

                                           - सुधीर भारद्वाज 



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