फूल मुस्काते हैं जब तुम मुस्कराते हो
फूल मुस्काते हैं जब तुम मुस्कराते हो
फूल मुस्काते हैं जब तुम मुस्कराते हो |
गंध के इस छंद में तुम गुनगुनाते हो ||
रूप रचना भिन्न है पर एक सबकी प्रेरणा ,
गंध सबकी है अलग पर एक सबकी मंत्रणा |
भूमि सबकी है अलग पर पोषण सभी का एक सा ,
विविध रंगों की छटा पर एक सा अंतस बसा ||
फूल ! ये सन्देश तुम सबको सुनाते हो |
गंध के इस छंद में तुम गुनगुनाते हो ||
देव चरणों में रखें या गूंथ दे जयमाल में ,
पिरो दें वेणी में इनको या कि उन्नत भाल में |
है सफल जीवन इन्हीं का सिद्ध इनकी साधना ,
जो मिला जीवन में उसको लोकहित में बाँटना ||
जीवन सुवासित है गुंणों से सत्य ये बतलाते हो |
फूल मुस्काते हैं जब तुम मुस्कराते हो |
कंटकों के मध्य भी मृदु हास्य बिखराते हैं ये ,
दिनमान नव फिर आ गया सन्देश पहुंचाते हैं ये |
मंद मुस्कानों में खिलती इनके ह्रदय की भावना ,
सब सुखी हों, सब प्रफुल्लित, इनकी सदा है कामना ||
विश्वास के रूपक तुम्ही श्रद्धा जगाते हो |
गंध के इस छंद में तुम गुनगुनाते हो ||
साथ इनका हो सदा सौभाग्य की ये बात है ,
कण मुदित है क्षण मुदित, जीवन मुदित हर साँस है |
'स्वर्ग से सुन्दर धरा' मिथ्या नहीं ये कल्पना ,
चिन्मय है ये,चेतन है ये ,सार्थक सदा अभिव्यंजना ||
फूल मुस्काते हैं जब तुम मुस्कराते हो |
गंध के इस छंद में तुम गुनगुनाते हो ||
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