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राममय जगत

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राममय जगत   राम आदर्शों के भी  पुरुष हैं प्रथम, राम शक्ति भी हैं, राम शिव हैं स्वयं राम विश्राम है,  राम जीवन गति, राम ही श्वास है,  राम हैं सद्गति । राम प्रीति की हैं  एक पराकाष्ठा, राम में त्याग तप की  प्रतिष्ठा सदा राम में प्राणियों की अनुरक्ति भी है । राम में त्याग की दिव्य शक्ति भी है । राम पर्याय हैं सिंधु गहराई का, राम अंतिम शिखर जग में ऊंचाई का । राम की शक्ति से सेतुबंधन हुआ, रीछ वानर का भी अभिनंदन हुआ । राम के ही सहारे धरा–धाम है, जग में सबसे परम राम का नाम है ।              —धर्मेंद्र कुमार ‘सुधीर’