एक छोटा दीप
चाँद तो छुप जाएगा ये बादलों में, दीप फिर भी रातभर जलता रहेगा, जुगनुओं के हौसले तो पस्त होंगे, पर अकेला तम से ये लड़ता रहेगा । तम अधिकतम हो तो हो डरता नहीं है, मैं हूँ अकेला सोचकर बुझता नहीं है, यदि स्नेह भीगी वर्तिका का साथ होगा यह टिमटिमाएगा मगर जलता रहेगा । अल्प जीवनकाल का यदि सार्थक उपयोग होगा, श्रेय और सम्मान का भी सुखद संयोग होगा, रोशनी का जब कभी इतिहास लिखा जाएगा, तब प्रथम पृष्ठों में यह स्थान निश्चित पायेगा । - सुधीर भारद्वाज