त्याग दो मन का मलाल
जब किसी का मांगना माफी हो अभिनय का कमाल, बातों में आने का उसकी है नहीं उठता सवाल। जब तुम्हारी आंख खुल जाए सबेरा मान लो, सो गए यदि जागकर तो उम्रभर होगा मलाल । जो छूट जाते राह में मत राह उनकी ताकना, चलते रहे यदि तुम निरंतर, ज़िन्दगी होगी निहाल । जब कोई संबंध मन के मान को दूषित करे, मत सहो पीड़ा, समझकर कांटा उसको दो निकाल। कोई समझौता कि जिसका आत्मा ही मूल्य हो, है उचित ठुकराना उसको चाहे जितना हो बवाल । सत्य में होता हज़ारों हाथियों का बल मिला, झूठ और पाखण्ड टिक पाएंगे झूठा है ख़याल । होता नहीं है अंत जीवन में बिखरना स्वप्न का, संकल्प लेकर जुट पड़ो तो फिर नया होगा कमाल । - सुधीर भारद्वाज